आज से सिद्धार्थी संवत्सर शुरू, राजा और मंत्री होंगे सूर्य, जानें किसे अपैट और वामपाद दोष
Hindu New Year 2025:आज से हिंदू नववर्ष शुरू हो गया है। सिद्धार्थी नाम के इस संवत्सर के राजा और मंत्री सूर्यदेव होंगे। देश-दुनिया में इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है। इस नव संवत्सर में प्राकृतिक आपदाएं बढ़ सकती हैं। साथ ही देश-दुनिया में उथल-पुथल का माहौल भी पैदा हो सकता है। आगे पढ़ें कि नव संवत्सर में किन राशियों पर अपैट और वामपाद दोष है। अन्य राशियों पर ग्रह किस प्रकार से प्रभाव डाल सकते हैं…

Hindu New Year 2025:आज चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ सिद्धार्थी नाम से नया संवत्सर शुरू हो गया है। इसके साथ ही विक्रमी संवत 2082 शुरू हो गया है। नव संवत्सर के प्रथम दिवस आज विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। साथ ही आज से चैत्र नवरात्र भी शुरू हो गए हैं। विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम के ज्योतिषाचार्य पंडित खीमानंद भट्ट के मुताबिक सिद्धार्थी संवत के राजा और मंत्री भी सूर्य देव होंगे। उन्होंने बताया कि इस समय ग्रहों की स्थिति राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज और प्राकृतिक घटनाओं को प्रभावित करेगी। नए साल के दिन सूर्य मीन राशि में रहेगा, जो आध्यात्मिकता, अंतर्ज्ञान और मानसिक शांति को बढ़ावा देगा। चंद्रमा मेष राशि में रहेगा, जो आत्मविश्वास और उत्साह बढ़ाएगा। वहीं, शनि और बृहस्पति का प्रभाव शनि मकर राशि पर रहेगा, जो कर्म प्रधानता और अनुशासन बढ़ाएगा। बृहस्पति वृषभ राशि में स्थित होगा, जो आर्थिक मामलों में स्थिरता और व्यावसायिक प्रगति दे सकता है। मंगल मिथुन राशि में रहेगा, जो संचार और प्रौद्योगिकी से जुड़े क्षेत्रों में तेजी लाएगा। राहु मीन राशि में और केतु कन्या राशि में रहेंगे, जिससे आध्यात्मिकता में बढ़ोत्तरी होगी और राजनीतिक क्षेत्र में कुछ उथल-पुथल हो सकता है। वामपाद दोष निवारण के लिए विधिवत पूजन करवाना होगा। इसके लिए चांदी का एक प्रतीकात्मक पैर बनाकर उसे शिवालय में अर्पित करना होगा। संवत्सर अपैट वाले लोगों को घर या देवालय में ब्राह्मण से दुर्गा सप्तशती का पाठ करवाने की सलाह ज्योतिषाचार्यों ने दी है। वामपाद दोष वाले लोगों के वैशाख एक गते को चांदी का पैर बनवाकर विधि-विधान से पूजन करवाना चाहिए।
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इन्हें वामपाद दोष और अपैट
इस नव संवत्सर में मेष, सिंह और धनु राशि में संवत्सर अपैट होगा। कर्क, वृच्छिक और मीन राशि में संक्रांति अपैट होगा। सिंह और कुंभ राशि में राहु-केतू का वास होगा। सिंह और धनु राशि में शनिदेव की ढैया जबकि कुंभ, मीन और मेष राशि में शनि की साढ़े साती चलेगी। तुला और वृच्छिक राशि में वामपाद दोष होगा।
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नव संवत्सर का देश और दुनिया पर प्रभाव
सरकार के बड़े फैसलों और नीतियों में बदलाव हो सकते हैं।
यह संवत्सर भारत के लिए आर्थिक रूप से स्थिरता और विकास लेकर आएगा।
न्यायपालिका से जुड़े बड़े फैसले आ सकते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं, खासकर गर्मी और बारिश के असामान्य प्रभाव की संभावना रहेगी।
विश्व स्तर पर कुछ देशों में राजनीतिक अस्थिरता और युद्ध जैसे हालात पैदा हो सकते हैं।
अमेरिका, चीन और रूस के संबंधों में उतार-चढ़ाव रहेगा।
जलवायु परिवर्तन का असर बढ़ेगा और अप्रत्याशित मौसम देखने को मिल सकता है।
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