Headlines

जागेश्वर मंदिर समिति में कुर्सियां खाली अब प्रतिनिधि चुनाव पर भी संकट! जानें अफसरों की चूक से कैसे हिला सिस्टम

Due to the negligence of the officials, the Jageshwar Dham Temple Committee is on the verge of dissolution
Spread the love

Temple Management Crisis:हाईकोर्ट के आदेश पर गठित जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति का सिस्टम क्रैश होने के कगार पर पहुंच गया है। हाईकोर्ट के आदेशानुसार जागेश्वर धाम की गतिविधियों का संचालन मंदिर समिति के जिम्मे होता है। मंदिर समिति के डीएम पदेन अध्यक्ष होते हैं। जबकि तीन-तीन साल के लिए प्रबंधक और अवैतनिक उपाध्यक्ष की नियुक्ति राज्यपाल स्तर से होती है। समिति में पुजारी प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं, जो मंदिर के पुजारियों के चुनाव से नियुक्त होते हैं। इस समिति में प्रबंधक का कार्यकाल पिछले साल अक्तूबर में ही खत्म हो गया था। तब से मंदिर समिति में प्रशासक की नियुक्ति चल रही है। इसके अलावा मंदिर समिति में उपाध्यक्ष का कार्यकाल भी इसी साल 14 अगस्त को पूरा हो गया था। बड़ी बात ये है कि प्रशासन ने प्रबंधक की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए जुलाई 2024 में ही विज्ञप्ति जारी कर दी थी। कहा जाता है कि कुछ राजनैतिक आवेदकों के दबाव के कारण पहली विज्ञप्ति प्रशासन को निरस्त करनी पड़ी थी। हालांकि उसके एक-दो महीने के भीतर ही प्रशासन ने प्रबंधक पद की विज्ञप्ति जारी कर दी थी। तमाम लोगों ने प्रबंधक पद के लिए आवेदन किया था। करीब एक साल पहले ही स्क्रूटनी के बाद प्रबंधक के आवेदकों की फाइलें राजभवन भेज दी गई थीं। इधर, उपाध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हुए करीब तीन माह से ज्यादा हो चुके हैं। बड़ी बात ये है कि प्रशासन ने अब तक उपाध्यक्ष पद के लिए विज्ञप्ति तक जारी नहीं की है। जबकि नियमानुसार विज्ञप्ति कार्यकाल पूरा होने से दो महीने पहले ही जारी हो जानी चाहिए थी। इस बड़ी भूल के चलते पांच सदस्यीय मंदिर समिति में दो कुर्सियां लंबे समय से खाली चल रही हैं। अब छह दिसंबर को पुजारी प्रतिनिधि का कार्यकाल भी पूरा होने जा रहा है। लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से नए प्रतिनिधि के चयन के लिए कागजी कार्यवाही तक  शुरू नहीं की है। ऐसे हालात में 14 दिन बाद मंदिर समिति भंग हो जाएगी। उसके बाद मंदिर समिति केवल मानदेय और पुजारियों के अंशदान से संबंधित ही कार्य कर पाएगी। अन्य कार्यों पर विराम लग जाएगा।

इसलिए भंग हो जाएगी समिति

हाईकोर्ट के आदेशानुसार पुजारी प्रतिनिधि का भी कार्यकाल तीन साल का ही होता है। इसके बाद पुजारियों के बीच चुनाव कराकर पुजारी प्रतिनिधि की नियुक्ति होती है। छह दिसम्बर को पुजारी प्रतिनिधि के लिए चुनाव प्रक्रिया संपन्न करानी जरूरी है। चुनाव प्रक्रिया में जागेश्वर धाम के सौ से अधिक पुजारी हिस्सा लेंगे। लेकिन अब तक चुनाव प्रक्रिया को लेकर कोई चर्चा नहीं है। इससे असमंजस बना हुआ है। क्योंकि अधिसूचना जारी होने के बाद कम से कम 15 दिन का समय चुनाव के लिए दिया जाता है। प्रतिनिधि का कार्यकाल अब करीब 14 दिन का ही शेष है। ऐसे हालात में समय पर चुनाव संपन्न कराना नामुंकिन है। लिहाजा छह दिसंबर से जागेश्वर मंदिर समिति पूर्ण रूप से भंग हो जाएगी।

आवेदन के 13 माह बाद हुई थी उपाध्यक्ष की नियुक्त

प्रबंधक की तरह उपाध्यक्ष पद के लिए शर्तों के साथ आवेदन लिए जाते हैं। अवैतनिक उपाध्यक्ष पद की नियुक्ति भी राज्यपाल की ओर से की जाती है। इसके लिए शासन की ओर से आवेदन मांगे जाते हैं। लेकिन तीन माह बीतने के बाद भी अब तक उपाध्यक्ष पद के लिए प्रशासन ने विज्ञप्ति तक जारी नहीं की है। ऐसे हालात में आने वाले कुछ महीनों तक उपाध्यक्ष की नियुक्ति पर भी संशय है। बता दें कि 2022 में उपाध्यक्ष की नियुक्त आवेदन के करीब 13 माह बाद हो पाई थी।


Spread the love