जागेश्वर मंदिर की अरबों की जमीन खुर्दबुर्द करने का मामला डीएम के समक्ष उठाया
जागेश्वर मंदिर की खुर्दबुर्द हो चुकी अरबों की जमीनों का मामला डीएम के समक्ष जोरशोर से गूंजा। लोगों ने श्री जागेश्वर को उनकी जमीनें वापस दिलाने के लिए जरूरी कार्यवाही की मांग डीएम के समक्ष उठाई। लोगों ने इस प्रकरण में जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट दायर करवाने की मांग उठाई।
डीएम आलोक कुमार पांडे और सीडीओ दिवेश शाशनी शनिवार को जागेश्वर धाम पहुंचे। उन्होंने यहां पर ज्योर्तिलिंग जागेश्वर, पुष्टिदेवी, महामृत्युंजय सहित अन्य मंदिरों में विधि-विधान से पूजन किया। उसके बाद डीएम ने मास्टर प्लान के कार्यों की समीक्षा करते हुए अफसरों को जरूरी दिशा निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने जागेश्वर में राजकीय संस्कृत विद्यालय खोलने के लिए भेजांगोव में भूमि का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि भूमि उपलब्ध होते ही जागेश्वर धाम में संस्कृत स्कूल खोल दिया जाएगा। इससे यहां के बच्चों को बड़ा लाभ मिलेगा। साथ ही मंदिर में पूजा-अर्चना में भी लाभ मिलेगा। इस दौरान लोगों ने डीएम के समक्ष भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्राचीन भवनों की मरम्मत के लिए अनुमति नहीं देने का मामला भी जोरशोर से उठाया। डीएम ने एएसआई के अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिए।
खुर्दबुर्द हुई जमीनों का होगा विधिक परीक्षण
लोगों ने डीएम को बताया कि राजा आनंद सिंह ने श्री जागेश्वर के नाम 1936 में सैकड़ों नाली जमीन की थी। राजा ने उस जमीन से अर्जित आय से जागेश्वर मंदिर की पूजा व्यवस्थाएं सुचारु रखने का प्रावधान अपनी वसीयत में लिखा था। बकायदा राजा ने वसीयत में उस अरबों की जमीन का स्वामी भी श्री जागेश्वर को बनाया था। उन्होंने बताया कि कालांतर में वह जमीन पूरी तरह खुर्दबुर्द हो चुकी है। कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से उस जमीन पर कब्जा जमा रखा है। डीएम ने कहा कि वह जल्द ही उस जमीन को लेकर विधिक परीक्षण कराएंगे। साथ ही मामले की जांच भी कराएंगे।
सीएजी ऑडिट की भी मांग
लोगों ने डीएम के समक्ष जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति का सीएजी ऑडिट करवाने की मांग भी उठाई। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि जागेश्वर मंदिर समिति का सीएजी ऑडिट किया जाएगा। मंदिर समिति गठन के करीब 10 साल में एक बार भी सीएजी ऑडिट नहीं हो पाया। आरोप लगाया कि मनमाने तरीके से ऑडिट कराया जा रहा है। उन्होंने जागेश्वर मंदिर समिति में पिछले तीन साल के भीतर पांच सदस्यीय कमेटी की लिखित अनुमति बगैर हुए कार्यों की भी जांच की मांग उठाई।