कत्ल के बाद जला दिया था शव, 18 साल बाद आई फैसले की घड़ी

Dehradun court has convicted two accused of murder
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found guilty of murder:देहरादून कोर्ट ने कर्जन रोड स्थित मकान में 18 साल पहले हुए हत्याकांड के दो अभियुक्तों को दोषी पाया है। ये घटना जनवरी 2006 में हुई थी। सरदार पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल कर्जन रोड पर अकेले अपने मकान में रहते थे। अचानक वह गायब हो गए थे। खोजबीन के बद भी उनका सुराग नहीं लगने पर परिजनों ने थाना डालनवाला में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। इसी बीच पता चला की पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल की एक वसीयत जिला न्यायालय में दाखिल की गई है। उनके अधिवक्ताओं ने इसे देखते ही पहचान लिया कि वसीयत पर जो हस्ताक्षर हैं, वह दुग्गल के नहीं हैं। उसके बाद पुष्पेंद्र दुग्गल हत्याकांड का सनसनीखेज खुलासा हुआ तो सभी चौंक गए थे।

ऐसे हुआ था हत्यांकाड का खुलासा

मृतक दुग्गल की संपत्ति पर हक जताने के लिए मुस्लिम कॉलोनी निवासी कुतुबुद्दीन उर्फ सन्नू, तेजपाल सिंह निवासी बंजारावाला और महमूद मौके पर पहुंच गए थे। वह पुताई का काम करते थे। शक के आधार पर पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी थी। उन्होंने बताया कि दुग्गल के पास कई संपत्तियां थीं। उन्होंने संपत्ति हड़पने की साजिश रची थी। इसके लिए दुग्गल की हत्या कर शव को गैराज में छिपा दिया। अगले दिन शव को एक ड्रम में रखकर चंद्रबनी स्थित फायरिंग रेंज के पास ले जाकर जला दिया था।

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दूसरी लाश को दर्शा दिया था दुग्गल

शातिर आरोपियों ने दुग्गल की संपत्ति हड़पने के लिए बड़ी साजिश रची थी। देहरादून में हत्या कर शव जलाने के बाद उन्होंने एक व्यक्ति, जिसकी ट्रेन हादसे में मौत हो गई थी, उसे पुष्पेंद्र दुग्गल दर्शाते हुए पंजाब से मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा लिया था। उसी मृत्यु प्रमाण् पत्र के आधार पर ही दुग्गल की वसीयत तैयार की गई थी। दो आरोपियों को एडीजे द्वितीय महेश चंद कौशीबा की कोर्ट ने दोषी करार दिया है। हत्या में आरोपी एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। चौथे आरोपी को न्यायालय ने बारी कर दिया है।


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