30 साल से लापता बेटा निकला फर्जी, सकते में आई दून और गाजियाबाद पुलिस

Fake missing son has shocked Dehradun and Ghaziabad police
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देहरादून और यूपी के गाजियाबाद में एक हैरत भरा मामला सामने आया है। देहरादून में पांच माह पूर्व जो मोनू आशा शर्मा के परिवार में खुशियां लेकर आया, वह अब बिखर गई हैं। मोनू अब गाजियाबाद जाकर एक अन्य महिला का बेटा बन गया। अब वह जिस महिला को अपनी मां बता रहा है उनका बेटा 31 वर्ष पहले लापता है। गाजियाबाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया है। देहरादून निवासी आशा शर्मा का परिवार का बेटा 17 वर्ष पहले से लापता है। शातिर ने दो राज्यों में दो परिवारों में ऐसी कहानी रची कि पुलिस भी हैरान है। अब उसकी हकीकत सामने लाने के लिए डीएनए सैंपलिंग की तैयारी चल रही है।

गाजियाबाद में रची ये कहानी

मोनू बीते 21 नवंबर देहरादून से दिल्ली जाने की बात पर घर से निकला था। इसी बीच दिल्ली में गाजियाबाद पुलिस के सामने जाकर उसने दून की तरह लापता होने की कहानी रची। तब गाजियाबाद की लीलावती उससे बात करने पहुंची तो 31 साल पहले लापता हुआ उनका बेटा भीम सिंह बन गया। 31 साल बाद बेटे के मिलने की कहानी सोशल मीडिया पर फैली। इस दौरान दिल्ली में महिला का बेटा बना भीम उनके घर रहकर गया अपना बेटा निकला। उन्होंने बेटे को फोन लगाया तो नंबर बंद आया।

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मोनू बनकर पहुंचा था देहरादून

मोनू बने युवक की देहरादून में कहानी की शुरुआत बीते जून महीने में हुई। यहां 25 जून को एक युवक पुलिस के एएचटीयू कार्यालय पहुंचा। बताया कि करीब 18-19 वर्ष पहले जब वह नौ वर्ष का था तो एक व्यक्ति उसे घर से पास से उठाकर अनजान जगह ले गया। यह जगह राजस्थान में थी। वहां उससे भेड़-बकरी चराने का काम कराया गया। बताया कि वहां से वह एक ट्रक में बैठकर दून पहुंचा। बताया कि जब वह लापता हुआ तो पिता की परचून की दुकान थी। माता और चार बहनें थीं। पुलिस ने सोशल मीडिया पर इस बाबत प्रचार किया। एक जुलाई को बंजारावाला निवासी आशा शर्मा पत्नी कपिल देव शर्मा एएचटीयू कार्यालय पहुंची और उन्होंने फर्जी बेटे की कहानी को सच मान उसे अपना लिया था।  


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