विद्वान बोले, सप्तपदी बगैर विवाह अपूर्ण, शास्त्रों के अनुसार संपन्न कराएं कर्मकांड

Workshop was organized by Sanskrit Academy in Jageshwar Dham
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Sanskrit Workshop In Jageshwar Dham:जागेश्वर धाम में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार की ओर से विवाह संस्कार प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन गुरुवार को डॉ. हरीश चंद्र गुरुरानी और साहित्याचार्य डॉ. चंद्र बल्लभ बेलवाल ने विवाह पद्वतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि ब्रह्म विवाह में जयमाला को कोई औचित्य नहीं होता है। बताया कि ब्रह्म विवाह में धूलीअर्घ्य, सप्तपदी आदि कर्मकांड अनिवार्य रूप से होने चाहिए। कहा कि मौजूदा दौर में यजमान आचार्यों पर शॉर्ट कर्ट में शादी कराने के दबाव बनाने हैं। बारात पहुंचते ही जयमाला कार्यक्रम करा दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार प्रचलित विवाह के कई कर्मकांडों का लगातार लोप हो रहा है, जोकि बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने पुजारियों से स्वाध्याय पर जोर देने की अपील की। कहा कि समाज में हर व्यक्ति को कुल आय का दस प्रतिशत हिस्सा अवश्यक दान करना चाहिए। मुख्य अतिथि निर्वतमान ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख योगेश भट्ट, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रधानाचार्य बीडी पंत, जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति उपाध्यक्ष नवीन भट्ट, संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक प्रेम प्रकाश और आचार्य गिरीश भट्ट  ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

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कई सवालों के दिए जवाब

कार्यशाला के दौरान पुजारियों ने शास्त्रों और लोकाचार से संबंधित कई प्रश्न प्रशिक्षकों से किए। प्रशिक्षकों ने सात फेरे, विवाहित महिला का मांग भरने, महिलाओं द्वारा शंखनाद किए जाने, महिलाओं द्वारा गायत्री जाप करने, यज्ञादि अनुष्ठानों में महिलाओं को बैठाने का सही क्रम समेत कई सवालों के जवाब शास्त्रोक्त उदाहरणों के साथ प्रस्तुत किए। उन्होंने साथ ही उन्होंने लोकाचार पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए।

पुजारियों को बांटे प्रमाण पत्र

दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन पर संस्कृत अकादमी की ओर से प्रतिभागी पुजारियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। इस मौके पर कृष्णानंद भट्ट, महेश भट्ट, खीमानंद भट्ट, गिरीश भट्ट, तनुज भट्ट, नाथू भट्ट, गोकुल भट्ट, तारा भट्ट, नीरज भट्ट, हिमांशु भट्ट, लक्ष्मी दत्त भट्ट, भगवान भट्ट, हंसादत्त भोले, पंकज भट्ट, केसी भट्ट, दिनेश भट्ट, खष्टी भट्ट, हंसा भट्ट, आनंद भट्ट, अशोक भट्ट, जगदीश भट्ट, पूरन भट्ट आदि मौजूद रहे।  

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