राष्ट्रीय स्मारकों के पास पुराने भवनों की मरम्मत की मिलेगी अनुमति, ये प्रूफ दिखाएं

ASI's Joint DG Nandini Bhattacharya reached Jageshwar Dham
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ASI rules: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की संरक्षित स्मारकों की सौ मीटर परिधि में बने पुराने भवन जर्जर हो चुके हैं। उन भवनों की छतें टपक रही हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी लोग उन प्राचीन भवनों की मरम्मत नहीं करा पा रहे हैं। इससे लोगों को तमाम कठिनाइयां उठानी पड़ रही हैं। इधर, रविवार को एएसआई दिल्ली की संयुक्त  डीजी नंदिनी भट्टाचार्य जागेश्वर धाम पहुंची थी। इस पर तमाम स्थानीय लोग उनसे मुलाकात करने पहुंच गए थे। लोगों ने उन्हें बताया कि उनके पुराने भवन मरम्मत की अनुमति नहीं मिलने के कारण जर्जर हो चुके हैं। भवनों की छतें टपक रही हैं। ज्वाइंट डीजी ने लोगों को बताया कि संरक्षित स्मारकों की 100 मीटर परिधि में भी 1992 से पूर्व बने भवनों की मरम्मत की अनुमति का प्रावधान है।

ये देना होगा प्रूफ

 एएसआई की संयुक्त महानिदेशक ने लोगों को बताया कि संरक्षित स्मारकों की सौ मीटर परिधि में 1992 से पहले बने भवनों की मरम्मत का प्रावधान है। लोगों को इस बात का प्रूफ दिखाना होगा कि उनके मकान वर्ष 1992 से पहले के बने हुए हैं। प्रूफ के तौर पर खतौनी की नकल या राजस्व विभाग की रिपोर्ट भी लगाई जा सकती है। उसके बाद राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) से ऑनलाइन आवेदन के जरिए अनुमति हासिल की जा सकती है। लेकिन अधिकांश लोगों को एएसआई के इस नियम की जानकारी नहीं है।  

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एएसआई के हैं कड़े नियम

एएसआई की संरक्षित स्मारक के सौ मीटर परिधि को निर्माण कार्यों के  लिए निषिद्ध घोषित किया गया है। उस सौ मीटर से आगे दो सौ मीटर यानी स्मारक से तीन सौ मीटर की परिधि को प्रतिषिद्ध क्षेत्र घोषित किया गया है। प्रतिषिद्ध क्षेत्र में निर्माण या नव निर्माण के लिए एनएमए से अनुमति लेने का प्रावधान है। राज्य में संस्कृति सचिव को इसके लिए नोडल नियुक्त किया गया है। लेकिन सौ मीटर की परिधि में अनुमति नहीं होने के कारण  राज्य भर के हजारों लोग परेशान हैं।


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