अब सरकार 10 रुपये किलो खरीदेगी पिरुल, लोगों की बढ़ेगी आजीविका
Pirul purchase in Uttarakhand:जंगलों में आग लगने की सबसे बड़ी वजह बना पिरुल अब लोगों की आजीविका का साधन बनने जा रहा है। सरकार 10 रुपये प्रतिकिलो की दर से पिरुल खरीदने की तैयारी कर रही है। इससे एक ओर जहां वनाग्नि की घटनाओं में कमी आएगी वहीं दूसरी ओर लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

Pirul purchase in Uttarakhand:उत्तराखंड में वनाग्नि का सबसे बड़ा कारण बनने वाला पिरुल (चीड़ की पत्तियां) अब लोगों की आजीविका का बड़ा साधन बनेंगी। सरकार पिरुल को आजीविका के साथ जोड़ने की तैयारी कर रही है। सरकार लोगों से 10रुपये किलो के हिसाब से पिरुल खरीदने की योजना पर काम कर रही है। कैबिनेट ने इसके लिए पिरुल नीति में संशोधन पर सहमति जताई है। अभी तक तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से पिरुल की खरीद हो रही है। राज्य में अभिलिखित वन क्षेत्र 37,999 वर्ग किलोमीटर है। इसके लगभग 15 प्रतिशत हिस्से में चीड़ के वन हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रतिवर्ष चीड़ वनों से 23 लाख मीट्रिक टन से अधिक पत्तियां गिरती हैं। ग्रीष्मकाल में पिरुल और चीड़ के फल जंगलों की आग में घी का काम करते हैं। पिरुल के कारण गर्मियों में राज्य में वनाग्नि के बड़े-बड़े मामले सामने आते रहते हैं। इससे लाखों की वन्य संपदा और वन्यजीवों का भी नुकसान पहुंचता है। इसके मद्देनजर पिरुल को संसाधन के रूप में लेते हुए इसके व्यावसायिक उपयोग और आजीविका से जोडने पर बल दिया जा रहा है।
बेहद उपयोगी है पिरुल
पिरुल से ब्रिकेट और जैविक खाद बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। व्यावसायिक उपयोग के दृष्टिगत पिरुल का एकत्रीकरण स्थानीय ग्रामीणों और महिला समूहों से कराया जा रहा है। उनसे तीन रुपये प्रति किग्रा की दर से पिरुल की खरीद होती है। लंबे समय से पिरुल की दरों में वृद्धि की मांग उठ रही थी। इस संबंध में वन विभाग की ओर से पिरुल की दर तीन रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये करने के लिए पिरुल नीति में संशोधन का प्रस्ताव सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में रखा गया था।
ये भी पढ़ें- उत्तराखंड में कल से चार दिन बंद रहेंगे शराब के ठेके, आदेश हुआ जारी