अब बाजारों में आएंगे जामुनी, बैगनी और नीले रंग के आलू, शुगर कम,पौष्टिकता अधिक
New varieties of potatoes:अब जल्द ही देश के बाजारों में नीले, बैगनी और जामुनी कलर के आलू पहुंचने वाले हैं। इन आलुओं में पोषक तत्वों की भरमार है, जबकि शुगर की मात्रा काफी कम है। पौष्टिक तत्वों से लबरेज ये आलू बाजार में नई क्रांति ला सकते हैं। वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत के बाद इन आलुओं की पैदावार करने में सफलता पाई है। आलू की ये तीन नई किस्में जल्द ही देश के बाजारों में पहुंच सकती हैं।
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New varieties of potatoes:अब बैगनी, नीले और जामुनी रंग के आलू बाजार में उतर सकते हैं। दरअसल, सब्जियों का राजा कहे जाने वाले आलू की पहचान हर घर में सब्जी की एक अहम जरूरत के रूप में होती है। अभी तक अधिकांश लोग आलू को भूरे-मटमैले रंग में देखते आए हैं। लेकिन अब लोगों को बैगनी, नीले और जामुनी रंग के आलू भी मिलने लगेंगे। खासबात ये है कि इन आलुओं की पैदावार देश के ही कृषि वैज्ञानिकों ने की है। यूएस नगर जिले के पंतनगर स्थित जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि में 17वीं एग्रीकल्चर साइंस कॉन्फ्रेंस में लगी प्रदर्शनी में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के मोदीपुरम मेरठ केंद्र ने बैंगनी, लाल और जामुनी रंग की आलू की तीन नई किस्में प्रदर्शित की हैं। ये तीन आलू किसानों के साथ आम लोगों को भी आकर्षित कर रही हैं। बड़ी बात ये है कि यह प्रजातियां विभिन्न रंगों में होने के साथ ही आलू की सामान्य प्रजाति से पौष्टिकता में भी आगे हैं। यहां प्रदर्शनी में विभिन्न केंद्रों के करीब 100 स्टॉल लगे हैं। आलू की नई किस्मों से बने उत्पाद चमकदार और गोल्डन कलर के होते हैं और यह काले नहीं पड़ते हैं। इनमें शुगर की मात्रा भी कम होती है। देश भर में आलू आधारित प्रसंस्करण संयंत्र लग रहे हैं। इन किस्मों की डिमांड बढ़ रही है और इससे किसानों को लाभ होगा। इनमें आयरन की मात्रा अन्य प्रजातियों से अधिक है। इसके अलावा प्रदर्शनी में भारतीय पक्षी अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर बरेली ने एग बिस्कुट, मीट फिंगर चिप्स, मुर्गी आचार, चिकन बड़ी और बटेर के अंडे के आचार को काफी सराहा गया। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. एमपी सागर के मुताबिक यह उत्पाद स्वस्थ और उच्च प्रोटीन युक्त खाद्य विकल्प प्रदान करेगा।
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पूरी तरह रंगीन हैं आलू की नई किस्में
पंतनगर विवि में लगी प्रदर्शनी में आलू की नई किस्मों में कुफरी जामुनिया देश की पहली ऐसी आलू की किस्म है, जिसका अंदर से गूदा भी जामुनी रंग का होता है। केंद्र के मुख्य तकनीकी अधिकारी अशोक कुमार चौहान के मुताबिक आलू की इस नई प्रजाति में विटामिन सी और एंथोसाइमिन की मात्रा अन्य प्रजातियों से अधिक है। वहीं दूसरी प्रजाति कुफरी नीलकंठ का रंग हल्का नीला है। इसमें एंटी ऑक्सीलेट की मात्रा अन्य किस्मों से अधिक है। अंदर का गूदा नीला है। तीसरी किस्म कुफरी माणिक है। इसे बिहार के पटना केन्द्र ने विकसित किया है। इसमें जिंक और आयरन की मात्रा अन्य प्रजातियों से अधिक है। उन्होंने बताया कि ये तीनों किस्में सेहत के लिए सामान्य प्रजाति के आलू से बेहतर हैं। बताया कि अनुसंधान केंद्र ने आलू की कई प्रसंस्करण किस्में भी विकसित की हैं।
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