जागेश्वर में अब नहीं सुनाई देगी गोलू देवता की चढ़ाई घंटी की गूंज, जानें महत्व
न्याय के देवता भगवान गोलू देवता (Golu Devta) की ओर से स्वयं जागेश्वर (Jageshwar Dham) में चढ़ाई गई विशालकाय घंटी अब इतिहास में दर्ज हो गई है। अब मंदिर में इस प्राचीन घंटी की गूंज नहीं सुनाई देगी। उसके स्थान पर उसी धातु से निर्मित दूसरी घंटी स्थापित की जाएगी।
जागेश्वर मंदिर परिसर के मुख्य गेट के पास सैकड़ों साल पहले भगवान गोल्ज्यू ने अष्टधातु निर्मित एक विशालकाय घंटी खुद अर्पित की थी। इस घंटी की तमाम खूबियां हैं। सदियों से उपयोग के कारण घंटी चारों ओर से खंडित हो गई थी। इसी को देखते हुए जागेश्वर धाम में मास्टर प्लान के तहत इस घंटी को म्यूजियम में संरक्षित कर इसके स्थान पर उसी धातू से निर्मित हूबहू दूसरी घंटी स्थापित की जानी हैं। लिहाजा गोल्ज्यू द्वारा चढ़ाई गई उस घंटी को अब पुरातात्विक संग्रहालय में स्थापित कर दिया गया है।
वृद्ध जागेश्वर तक सुनाई देती थी गूंज
गोल्ज्यू द्वारा चढ़ाई गई जागेश्वर की इस घंटी की आवाज साढ़े तीन किमी दूरी पर स्थित वृद्ध जागेश्वर तक भी सुनाई देती थी। खंडित होने के बाद भी इसकी गूंज बरकरार थी। जागेश्वर में नित्य होने वाली तीन समय की पूजाओं के समय भी इस घंटी को बजाया जाता था। इस घंटी का वजन करीब डेढ़ कुंतल है।
अब गुजरात में बनेगी नई घंटी
घंटी शिफ्टिंग का कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में हो रहा है। घंटी स्थापित करने के के लिए नए पिलर भी बनाए जाएंगे। घंटी का निर्माण जयपुर और गुजरात यानी दो राज्यों में किया जाएगा। ये घंटी पीतल नहीं, बल्कि अष्टधातु से निर्मित है।
मास्टर प्लान के तहत हो रहा काम
जागेश्वर धाम में मास्टर प्लान को मंजूरी मिली है। पहले चरण में मंदिर परिसर में करीब 11 करोड़ की लागत से लाइटिंग का काम होना है। इसके अलावा घंटी भी लगाई जानी है। लाइटिंग के बाद शौचालय निर्माण, श्मशान घाट, प्लाजा, भंडारा स्थल सौंदर्यीकरण आदि कार्य होने हैं।