उत्तराखंड की योजना का यूपी-बिहार वालों को बांटा ऋण, बैंकों के करोड़ों रुपये डूबे

Loans worth crores of cooperative banks have gone bankrupt in Uttarakhand
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Big  News: उत्तराखंड में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के मकसद से ई-रिक्शा ऋण योजना चलाई थी। इसके लिए सहकारी बैंकों ने  बिना गारंटर और बगैर दस्तावेजों के ही लोन देने की व्यवस्था की थी। केवल आधार कार्ड और वोटर आईडी दिखाने से ही ई-रिक्शा खरीदने के लिए डेढ़ लाख रुपये तक लोन दिए जा रहे थे। लंबा वक्त बीत जाने के बाद भी अधिकांश लोगों ने सहकारी बैंकों का कर्ज नहीं चुकाया है। बताया जा रहा है कि ऋण वितरण में गड़बड़झाला हुआ था। राज्य सहकारी बैंक के एमडी ने कुछ शाखाओं की पड़ताल की तो तिलक रोड ब्रांच में सबसे अधिक गड़बड़ियां मिलीं। जांच में सामने आया है कि न सिर्फ लोन वितरण की प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई, बल्कि बांटे गए ऋण की वसूली में भी लापरवाही बरती गई है। एमडी नीरज बेलवाल के मुताबिक बैंकों को पूरा ऋण वसूल किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। ई-रिक्शा मद में एनपीए को पूरी तरह खत्म करने के निर्देश दिए हैं।

निवर्तमान एमडी ने किया था खुलासा

उत्तराखंड के सहकारी बैंकों में ई-रिक्शा लोन को लेकर तमाम अनियमितताएं सामने आई हैं। बताया जा रहा है कि अफसरों ने लोन बांटने की शर्तों को बदल कर यूपी, बिहार, झारखंड, हरियाणा के लोगों को ई-रिक्शा लोन बांट दिया था। ऋण बांटते समय आवेदकों के स्थायी निवास प्रमाण पत्र देखे जाने थे। बैंकों ने स्थायी निवास की बजाय सीधे आधार कार्ड, वोटर कार्ड के आधार पर ही ऋण बांट दिए। ई-रिक्शा ऋण आवंटन में गड़बड़ी का खुलासा सहकारी बैंक के निवर्तमान निदेशक मनोज पटवाल ने ही किया था।

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