खुलासा:बांग्लादेशियों से किडनी खरीदकर जयपुर में कीं ट्रांसप्लांट
देश में अवैध तरीके से किडनी (kidney transplant) ट्रांसप्लांट करने वाले गिरोह (gang) का फर्दाफाश हुआ है। गिरोह के सदस्यों ने बांग्लादेशियों से किडनी खरीदकर जयपुर में ट्रांसप्लांट की हैं। पुलिस ने एक होटल में छापा मारकर किडनी ट्रांसप्लांट करवा चुके मरीज, डोनर और ट्रांसप्लांट करवाने के लिए आए नौ मरीजों को पकड़ा है।

गुरुग्राम (Gurugram) में किडनी ट्रांसप्लांट (kidney transplant) करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह का खुलासा हुआ है। पुलिस के मुताबिक गिरोह का सरगना रांची का रहने वाला मो. मुर्तजा अंसारी है, जिसे पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. पवन चौधरी की शिकायत पर पुलिस ने सदर थाने में केस दर्ज कराया है। गिरोह का भंडाफोड़ होने से खलबली का माहौल है। जल्द ही सरगना की गिरफ्तारी की भी संभावना जताई जा रही है।
होटल से संचालित हो रहा था गिरोह
पुलिस को सूचना मिली थी कि बबील पैलेस होटल से अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट चल रहा है। जांच में होटल मालिक रोहित से पता चला कि तीसरी मंजिल पर दो दिन पहले आए बांग्लादेश के नागरिक रुके हुए हैं। उस होटल में मिले सभी नौ लोग बांग्लादेश के रहने वाले पाए गए।
10 लाख रुपये में बेची जा रही थी किडनी
पुलिस के मुताबिक जिस व्यक्ति को किडनी की जरूरत होती थी, गिरोह का सरगना मो. मुर्तजा अंसारी उससे करीब दस लाख रुपये लेता था। इसके बाद वह बांग्लादेश के गरीब और कर्ज में फंसे नागरिकों से नेटवर्क के जरिये संपर्क करता। किडनी देने के लिए तैयार होने के बाद उसे चार लाख रुपये देता था।
सौ किडनी ट्रांसप्लांट कर चुका है गिरोह
जांच में सामने आया है कि गिरोह के सदस्य अब तक 80 से 100 लोगों का अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट करवा चुका है। सभी का किडनी ट्रांसप्लांट जयपुर स्थित फोर्टिस अस्पताल में हुआ था। होटल में मिले डोनर और किडनी ट्रांसप्लांट करने वालों ने पूछताछ में खुलासा किया। ट्रांसप्लांट के बाद मरीजों को गुरुग्राम के बबील होटल में पोस्ट ऑपरेटिव केयर के लिए रखा जाता था। देखभाल करने के लिए एक तीमारदार भी होता था। मरीज के ठीक होने के बाद दिल्ली से सभी को वापस बांग्लादेश भेज दिया जाता था।