नगर निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ना तय:जानें वजह

It has become a big challenge to conduct municipal elections in Uttarakhand on time
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उत्तराखंड में नगर निकायों के निर्वाचित बोर्डों का कार्यकाल एक दिसंबर को समाप्त हो गया था। इसके बाद निकायों में दो दिसंबर से छह महीने के लिए प्रशासकों की तैनाती कर दी थी। नगर निकाय एक्ट के तहत सामान्य तौर पर प्रशासकों का कार्यकाल अधिकतम छह माह ही होता है। इस अवधि में नए चुनाव कराए जाने अनिवार्य हैं, लेकिन राज्य में नए निकाय चुनाव कराने से पहले आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया तक शुरू नहीं हो पाई है। इसके लिए ऐक्ट में संशोधन करते हुए ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाना है।

तो विधानसभा उपचुनाव के बाद होंगे चुनाव

यदि जुलाई प्रथम सप्ताह तक निकाय चुनाव नहीं हो पाए तो फिर निकाय चुनाव अक्तूबर तक टल सकते हैं। कारण जुलाई-अगस्त के मानसून सीजन में पहाड़ों में चुनाव मुश्किल होंगे। इसके बाद 15 सितंबर तक फिर मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा के लिए भी उपचुनाव होने हैं। इस कारण निकाय चुनाव की स्थिति अक्तूबर अंत तक ही बन सकती है। तब तक निकाय प्रशासकों के हवाले रह सकते हैं।

कैबिनेट बैठक में आचार संहिता की बांधा

आरक्षण निर्धारण का काम कैबिनेट बैठक के जरिए ही हो पाएगा, लेकिन लोस चुनाव आचार संहिता के कारण इसमें बाधा आ रही है। अब यदि तेजी से काम शुरू हो तो भी चुनाव कराने में ढाई महीने तक का समय लग सकता है। ऐसे में प्रशासकों का कार्यकाल दो जून से आगे फिर बढ़ना तय है।


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