सवा नाली से अधिक भूमि खरीदने वाले बाहरी लोगों की जांच शुरू, बिचौलियों पर भी होगी कार्रवाई
Crackdown on land mafia:उत्तराखंड में 250 वर्ग मीटर (सवा नाली) से अधिक भूमि खरीदने वाले बाहरी लोग भी अब कार्रवाई के दायरे में आ गए हैं। विभागों के स्तर से अब 250 वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन खरीद चुके बाहरी लोगों को अब नोटिस जारी होने लगे हैं। साथ ही जमीनें बिकवाने वाले बिचौलियों की भी अब कुंडली खंगाली जाएगी। उसके बाद एक्शन शुरू हो जाएगा।

Crackdown on land mafia:उत्तराखंड में सवा नाली से अधिक भूमि खरीदने वाले बाहरी लोग और स्थानीय बिचौलियों पर भी बड़ी कार्रवाई होने वाली है। दरअसल, राज्य के पर्वतीय इलाकों में पिछले कुछ साल से भू माफिया की सक्रियता में बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। राज्य के मुक्तेश्वर, अल्मोड़ा, जैती, जागेश्वर, चम्पावत, लैसडॉन सहित पहाड़ के पर्यटक स्थलों के आसपास के इलाकों में पिछले कुछ सालों में बड़े पैमाने पर जमीनें बिकी हैं। अधिकांश जमीनें बाहरी राज्यों के लोगों ने नियम ताक पर रखकर खरीदी हैं। स्थानीय माफिया और बिचौलियों से सांठगाठ कर जमीनें बेची और खरीदी जा रही हैं। इससे स्थानीय लोगों में चिंता का माहौल है। इसी को देखते हुए कुछ माह पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। शासन ने सभी जिलों से जांच रिपोर्ट मंगाई तो आकड़े चौंकाने वाले निकले। पाया था कि बाहरी राज्यों के सैकड़ों लोगों ने मनमाने तरीके से उत्तराखंड में जमीने खरीदी हैं। उस वक्त बड़े पैमाने पर जमीन खरीदने वाले लोगों की जांच हुई थी। जांच के बाद शासन के आदेश पर सैकड़ों लोगों की जमीनें जब्त कर दी गई थी। इधर, अब उत्तराखंड में भू-कानून उल्लंघन के छोटे मामलों में भी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। अब बगैर अनुमति के 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीदने वालों को नोटिस जारी होने लगे हैं। तय भूउपयोग से हटकर जमीनों का इस्तेमाल करने वाले भी अब प्रशासन के निशाने पर हैं।जल्द ही उनकी जमीनें सरकार में निहित करने की तैयारी शुरू होने वाली है। जल्द ही बाहरी राज्यों के भू माफिया और स्थानीय बिचौलियों पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। बता दें कि उत्तराखंड में नगर निकाय, कैंट बोर्ड सीमा से बाहर 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदने पर प्रतिबंध है। 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदने को जिला प्रशासन से लेकर शासन स्तर से मंजूरी लेनी होती है। जिला प्रशासन स्तर से दी जाने वाली मंजूरी की व्यवस्था अब नए भू कानून में समाप्त कर दी गई है।राजस्व सचिव एसएन पांडेय के मुताबिक नए भू-कानून को लागू करने की प्रक्रिया जारी है। नए कानून के लागू होने तक भू कानून की पुरानी व्यवस्थाओं को ही सख्ती के साथ लागू कराया जा रहा है। इसके लिए पहले चरण में बड़े मामलों में जिला स्तर से कार्रवाई सुनिश्चित की गई। अब 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि बिना मंजूरी के खरीदने वालों को कानूनी दायरे में लाया जा रहा है।
बिचौलियों ने बिकवाया पहाड़
भू-कानून उल्लंघन के इन मामलों में कई जमीनों में दो या इससे अधिक साझेदार भी हैं। लिहाजा, जो नोटिस जारी हुए हैं, उनमें साफ है कि ऐसी साझेदारी वाली जमीनों में उत्तराखंड मूल के व्यक्ति को साझेदार बनाकर तय सीमा से अधिक जमीनें खरीदी गईं। वे भी भू-कानून उल्लंघन के दायरे में आई हैं।इसके अलावा पहाड़ में बाहरी राज्यों के लोगों को जमीनें बिकवाने वाले बिचौलियों पर भी कार्रवाई होगी। बताया जा रहा है कि हर तहसील स्तर पर बिचौलियों की भी खुफिया जांच होने वाली है। बिचौलियों ने ही पहाड़ की जमीनें बाहरी राज्यों के लोगों को बिकवाकर करोड़ों के वारे-न्यारे किए हैं।
भू कानून लागू होने से पहले बढ़ाई सतर्कता
उत्तराखंड के बजट सत्र के दौरान बीते दिनों ही सख्त भू-कानून को मंजूरी मिली है। अब विधेयक राजभवन को भेजा जाएगा। ऐसे में नया भू कानून लागू होने से पहले कोई भी दूसरे राज्य का व्यक्ति भू कानून की कड़ी शर्तों से बचने को जमीन की खरीद फरोख्त न कर पाए, इसके लिए सभी सब रजिस्ट्रार कार्यालयों को रजिस्ट्री के दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरने को कहा गया है। रजिस्ट्री के दौरान वर्ष 2003 से पहले राज्य में जमीन का दस्तावेज न देने वालों पर विशेष नजर जा रही है।
हजारों नाली जमीनें जब्त
उत्तराखंड में भू काननू उल्लंघन के बड़े मामलों में पूर्व से ही कार्रवाई चल रही है। पहले चरण में भू कानून उल्लंघन के बड़े मामलों में ही कार्रवाई की गई थी। इसमें कृषि, उद्यान, होटल, अस्पताल, स्कूल, कालेज, रिजॉर्ट के नाम पर खरीदी गई जमीनों का असल उपयोग न होने पर एक्शन लिया गया था। ऐसे करीब 1000 मामलों में कार्रवाई चल रही है। अब सरकार ने बिना मंजूरी के 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदने वालों के खिलाफ हर तहसील स्तर से नोटिस जारी किए जा रहे हैं।