आस्था:यहां दीप तपस्या से पूरी होती है मनोकामना, ये नामचीन हस्ती भी कर चुकी है तप
Deep Tapasya in Jageshwar Dham:विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में दीप तपस्या (ठाड़द्यू) का खासा महत्व है। महिलाएं रात भर हाथ में दीपक लेकर भगवान शिव के दरबार में खड़ी रहकर इस कठिन तपस्या में लीन हो जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि दीप तपस्या सफल होने पर एक साल के भीतर ही भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है।

Deep Tapasya in Jageshwar Dham:उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम के कण-कण में भगवान का वास माना जाता है। इस धाम में विभिन्न देवी देवताओं के 125 मंदिर हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुताबिक इन मंदिर का निर्माण सातवीं सदी के लेकर 13वीं सदी तक हुआ है। इस धाम में स्थित महामृत्युंजय मंदिर में दीप तपस्या का विशेष महत्व है। दीप तपस्या को स्थानीय भाषा में ठाड़द्यू के नाम से जाना जाता है। दीप तपस्या श्रावण माह के सोमवार या श्रावण चतुर्दशी के अलावा वैशाखी पूर्णिमा, महाशिवरात्रि आदि पर्वों में की जाती है। दीप तपस्या विशेषकर निसंतानी महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना के लिए करती हैं। इसके अलावा अन्य मनोकामनाओं की सिद्धी के लिए भी दीप तपस्या भक्तजन करते हैं।
ये बड़ी हस्ती भी कर चुकी है दीप तपस्या
जागेश्वर धाम में दीप तपस्या के लिए न केवल उत्तराखंड बल्कि देश के तमाम राज्यों के श्रद्धालु पहुंचते हैं। पुजारियों के मुताबिक करीब तीन दशक पहले पूर्व पीएम नरसिम्हा राव की बेटी और दामाद भी जागेश्वर धाम के महामृत्युंजय मंदिर में दीप तपस्या कर चुके हैं। पुजारियों के मुताबिक दीप तपस्या के बाद पूर्व पीएम नरसिम्हा राव की बेटी की मनोकामना एक साल के भीतर ही पूरी हो गई थी। तब से यह परिवार इस धाम के प्रति बेहद आस्था और लगाव रखता है। दक्षिण भारत से साल में हजारों भक्त जागेश्वर धाम में पूजा अर्चना को पहुंचते हैं।
रात भर खड़े रहकर होती है ये तपस्या
बेहद कठिन मानी जाने वाली दीप तपस्या के लिए खासे नियम हैं। दीप तपस्या करने वाले भक्त को कम से कम 36 घंटे व्रत रखना पड़ता है। महामृत्युंजय मंदिर में शाम को आरती के वक्त भक्तजनों के हाथ में विधि-विधान से दीपक रख दिया जाता है। उसके बाद भक्त मंदिर के स्तंभों की आड़ में खड़े रहकर दीप तपस्या शुरू करते हैं। अगली सुबह करीब चार बजे प्रात: कालीन आरती के बाद भक्त के हाथ से पुजारी दीपक उताकर उसे भगवान के समक्ष रखते हैं। तब जाकर दीप तपस्या पूरी होती है।
पार्थिव पूजन का विशेष महत्व
जागेश्वर धाम में श्रावण मास में पार्थिव पूजन का विशेष महत्व है। अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए अलग अलग पदार्थों से 108 शिवलिंग तैयार कर उनका विधि पूर्वक पूजन किया जाता है। संतान प्राप्ति के लिए साठी चावल, सर्व मनोकामना के लिए मिट्टी, धन प्राप्ति के लिए मक्खन के 108 शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जाता है।