उप राष्ट्रपति का भतीजा, स्वतंत्रता सेनानी का पोता और एक क्रिकेटर ऐसे बना कुख्यात डॉन मुख्तार अंसारी…

Mafia don Mukhtar Ansari has died
Spread the love

जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। एक दौर था जब मुख्तार अंसारी के एक इशारे पर पूर्वांचल में सरकारें अपना निर्णय बदलने को विवश हो जाया करती थीं। उस मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात बांदा में हार्ट अटैक से मौत हो गई है। उसकी मौत के बाद यूपी के कई इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है। आज पांच सदस्यीय डॉक्टरों का पैनल मुख्तार अंसारी का पोस्टमार्टम करेगा। उसके बाद शव उसके परिजनों को सौंप दिया जाएगा। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी का पोता, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का भतीजा और एक बेहतरीन क्रिकेटर मुख्तार अंसारी के डॉन बनने की कहानी बेहद खौफनाक है।

20 साल की उम्र में मखनू गिरोह से जुड़ गया था मुख्तार

यूपी के गाजीपुर जिले के युसुफपुर में 1963 में जन्मा मुख्तार अंसारी मखनू गिरोह का सदस्य था। ये गिरोह 1980 के दशक में काफी सक्रिय हुआ करता था। 20 साल से भी कम उम्र में मुख्तार इस कुख्यात गिरोह का सदस्य बन गया था। ये गिरोह कोयला खनन, रेलवे निर्माण, स्क्रैप निपटान, सार्वजनिक कार्यों और शराब व्यवसाय जैसे कार्य करता था। इसके अलावा अपहरण, हत्या और लूट सहित अन्य आपराधिक वारदातों में भी सक्रिय था।

सच्चिदानंद राय हत्याकांड के बाद बढ़ी थी दहशत

माफिया मुख्तार अंसारी ने वर्ष 1988 में हरिहरपुर के सच्चिदानंद राय हत्याकांड को अंजाम देकर जुर्म की दुनियां में कदम रखा था। उसके बाद पूर्वांचल में उसने तमाम हत्याओं को अंजाम दिया। साथ ही रंगदारी भी मांगने लगा था।कुछ ही साल के भीतर मुख्तार अंसारी जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बन बैठा था।

सत्ता का मिला खुला संरक्षण

सत्ता और प्रशासन का खुला संरक्षण मिलने पर मुख्तार अंसारी की ताकत दिन रात बढ़ने लगी थी।  40 साल पहले राजनीति में कदम रखने वाला मुख्तार देखते ही देखते बड़ा बाहुबली नेता बन गया था। विधानसभा में पूर्वांचल की मऊ सीट से लगातार पांच बार विधायक चुना गया। उसका बेटा भी विधायक है।  

अवधेश हत्याकांड में मिली थी उम्रकैद

अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को पहली बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इससे पूर्व उसे अधिकतम 10 साल की सजा मिली थी। पंजाब की रोपड़ जेल से वापस यूपी आने के बाद मुख्तार पर कानून का शिकंजा कसने लगा था। उसे डेढ़ साल के भीतर आठ बार अलग-अलग न्यायालयों ने सजा सुनाई, जिनमें दो बार आजीवन कारावास की सजा भी शामिल थी।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *