Master Plan:जागेश्वर धाम में रिवर फ्रंट निर्माण को 18 करोड़ की डीपीआर तैयार

Under the master plan, river front will be constructed at Jageshwar Dham with Rs 18 crore
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Master Plan Of Jageshwar:जागेश्वर धाम में सातवीं सदी में निर्मित 125 मंदिरों का समूह है। जागेश्वर धाम का मास्टर प्लान सीएम पुष्कर सिंह धामी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। करीब 146 करोड़ रुपये खर्च कर जागेश्वर धाम का मास्टर प्लान तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। धाम में पहले चरण में इलुमिनेशन (लाइटिंग) का कार्य अंतिम चरण में है। इसके अलावा दंडेश्वर और कुबेर मंदिर में भी होली के बाद लाइटिंग का कार्य शुरू हो जाएगा। वहीं, रिवर फ्रंट के कार्यों के लिए पूर्व में ही निरीक्षण किया जा चुका था। अब कार्यदायी संस्था पीआईयू लोनिवि ने रिवर फ्रंट के कार्यों के लिए 18 करोड़ रुपये की डीपीआर बनाकर प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। जल्द ही प्रस्ताव को स्वीकृति मिल जाएगी। पीआईयू के एई हेमंत पाठक के मुताबिक रिवर फ्रंट के कार्यों के लिए 18 करोड़ रुपये की डीपीआर बनाकर प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। उम्मीद है जल्द ही प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद रिवर फ्रंट के तहत निर्माण कार्य शुरू कर दिए जाएंगे। 

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परिक्रमा पथ का भी होगा निर्माण

मास्टर प्लान के तहत जागेश्वर में एएसआई म्यूजियम से ब्रह्मकुंड तक परिक्रमा पथ का निर्माण किया जाएगा। इससे श्रद्धालु जागेश्वर मंदिर की परिक्रमा आसानी से कर सकेंगे। इसके अलावा योग मैदान सौंदर्यीकरण, शवदाह स्थल निर्माण, रिवर फ्रंट, मंदिर में एरावल प्लाजा सहित तमाम कार्य किए जाएंगे। साथ ही म्यूजियम के नीचे दो पवेलियन भी इसी योजना में बनाए जाएंगे। इन कार्यों के पूरा होने के बाद एक तरफ जटागंगा नदी का सौंदर्य बढ़ेगा, वहीं श्रद्धालुओं को भी सुविधाएं मिलेंगी। लोग एक जगह से दूसरी जगह आसानी से जा सकेंगे।

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जटागंगा नदी पर दो पुलों का होगा निर्माण

रिवर फ्रंट के तहत म्यूजियम के नीचे पवेलियन का निर्माण होना है। म्यूजियम के पास से ही योग मैदान में पहुंचने के लिए धनुषनुमा पुल बनाया जाएगा। पहला पुल मौजूदा पुल के स्थान पर ही बनेगा।योग मैदान के पूर्वी छोर के पास भी एक धनुषपुल बनाया जाएगा। ये पुल पुष्टि देवी मंदिर के पीछे बनने वाले एरावल प्लाज को जोड़ेगा। रिवर फ्रंट के कार्य होने से जटा गंगा नदी का स्वरूप बदल जाएगा। योजना के तहत नदी के दोनों ओर दीवार बनाई जाएगी। दीवारों के बनाए जाने से जटागंगा की चौड़ाई कम हो जाएगी। वहीं, एक सिरे की दीवार में ही परिक्रमा पथ बनाने की तैयारी है। इससे श्रद्धालु सड़क पर जाने के बजाए पूरे मंदिर और ब्रह्मकुंड की आसानी से परिक्रमा कर पाएंगे।

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