आयुष्मान केंद्रों में होगा सोशल मीडिया की लत का उपचार, चपेट में आ रहे लोग

Social media addiction will be treated in Ayushman centers
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बढ़ती सोशल मीडिया की लत से हर व्यक्ति परेशान है। मोबाइल फोन के उपयोग से समाज में सोशल मीडिया का क्रेज लगातार बढ़ रहा  है। इसके चलते  अधिकांश लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप आदि सोशल मीडिया की लत में फंस चुके हैं। सोशल मीडिया की लत की बीमारी लोगों को जकड़ रही है। ये लत लोगों के दिमाग और स्वास्थ्य पर भी असर कर रही है। विशेषज्ञों ने भी लोगों को इससे बचाने के लिए समय रहते इलाज की सुविधा विकसित करने की सलाह दी है। इसी को देखते हुए अब उत्तराखंड में सोशल मीडिया की लत के उपचार की व्यवस्था शुरू कराने की प्रक्रिया चल रही है। अब राज्य के आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) में सोशल मीडिया की लत के इलाज की सुविधा विकसित करने की तैयारी चल रही है। बाकायदा उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए बनी गैप एनालिसिस कमेटी ने इसकी सिफारिश की है। स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए गठित गैप एनालिसिस कमेटी ने कई अहम सुझाव दिए हैं। जिसमें सोशल मीडिया की लत से जुड़ी दिक्कतों से बचाव के लिए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों के जरिए उपाय की भी सलाह दी गई है। जल्द कार्य योजना तैयार कर इसे लागू कराया जाएगा।

ई -एडिक्शन काउंसिलिंग होगी

उत्तराखंड में 1600 से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर संचालित हो रहे हैं। वेलनेस सेंटर में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की तैनाती की गई है जो लोगों की हेल्थ स्क्रीनिंग से लेकर प्राथमिक उपचार आदि का कार्य करते हैं। जल्द ही इन केंद्रों में सोशल मीडिया की लत का इलाज शुरू हो जाएगा। उसके बाद अब इन केंद्रों में लोगों को ई -एडिक्शन से बचाव के लिए काउंसलिंग की सुविधा भी शुरू हो जाएगी।

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कई बीमारियों का खतरा

सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से कई बीमारियों का खतरा हो सकता है। इससे अवसाद के साथ ही नींद में दिक्कत और भावनात्मक रूप से व्यक्ति के कमजोर होने का खतरा रहता है। साथ ही याददाश्त कमजोर होने का खतरा भी रहता है। इसके साथ ही इससे गर्दन और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है। सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग सर्वाइकल का खतरा भी पैदा कर रहा है।  अत्यधिक लत की वजह से मनोरोग की स्थिति भी पैदा हो सकती है।


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