‘धरतीपकड़’ ने लड़े 308 चुनाव: राष्ट्रपति पद तक के लिए भी भरे थे नामांकन

लोक सभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) का बिगुल बज चुका है। ऐसे हालात में चुनावों के दिलचस्प किस्से और मशहूर लोगों का जिक्र आना स्वाभाविक है। आज हम आपको उस शख्स के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने जीवन में 308 चुनाव लड़े थे।
भारत की राजनीति में उस शख्स को ‘धरतीपकड़’ नाम से जाना जाता है। काका जोगिंदर सिंह यानी ‘धरतीपकड़’ ने हरियाणा की सियासी जमीं पर जौहर दिखाया था। उन्होंने हरियाणा की दो सीटों पर भी चुनाव लड़ा था, लेकिन जीतने के लिए नहीं बल्कि हारने के लिए। उनका चुनाव के दौरान प्रचार का तरीका भी निराला था।बरेली के काका जोगिंदर सिंह उर्फ धरतीपकड़ ने पार्षद से लेकर राष्ट्रपति तक के 308 चुनाव लड़े। वह हारने के लिए मैदान में उतरते थे।
कहते थे ‘ मेहरबानी करके मुझे वोट न दें’
उनका चुनाव प्रचार का अंदाज काफी निराला था। वह पैदल या साइकिल से चुनाव प्रचार को गली-मोहल्लों में पहुंचते थे। लोगों से कहते थे कि वह चुनाव में खड़े हैं, लेकिन ‘मेहरबानी करके मुझे वोट मत देना’। चुनाव लड़ने के पीछे उनकी सोच ही अलग थी।
1998 में हुआ था निधन
308 चुनाव लड़ने वाले काका जोगिंदर सिंह का जन्म वर्तमान पाकिस्तान के गुजरांवाला में 1918 में हुआ था। बंटवारे के बाद वह यूपी के बरेली में बस गए थे। उसके बाद उन्होंने वर्ष 1962 से हर चुनाव लड़े। इस दरमियान उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में कई चुनाव लड़े। साल 1998 में उनका निधन हो गया था।
नेहरू का प्रस्ताव भी ठुकराया
एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी काका जोगिंदर सिंह को यूपी विधानसभा चुनाव में बतौर सिख चेहरा मैदान में उतरने को कहा था। लेकिन उन्होंने नेहरू का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। उनका ये किस्सा भी हमेशा चर्चाओं में रहा है।
कई सीटों से भरते थे नामांकन
धरतीपकड़ हमेशा आजाद प्रत्याशी की तरह ही चुनाव लड़ा करते थे। वह एक चुनाव में कई सीटों से नामांकन कराते थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में कुल 308 चुनाव लड़े थे। इसी के चलते वह पूरे देश में विख्यात हुए थे।
हार पर मनाते थे जश्न
हर बार चुनाव लड़ने के पीचे काका का मकसद था कि उनकी जमानत जब्त होगी। जमानत की राशि देश के काम आएगी। इतना ही नहीं हारने बाद वह लोगों का मुंह भी मीठा करवाते थे।