कुमाऊं में बंद होंगे 1453 सरकारी स्कूल, अल्मोड़ा-नैनीताल टॉप पर
Government school:उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में 1453 सरकारी स्कूल बंद होने की कगार पर खड़े हो गए हैं। इनमें अल्मोड़ा और नैनीताल जिले टॉप पर हैं। शिक्षा विभाग की ये भयावह तस्वीर चिंता का विषय बन गई है। लोग विभाग की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं।

Government school:उत्तराखंड में शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों की उन्नति को लेकर तमाम दावे कर रहा है। वहीं दूसरी ओर कुमाऊं मंडल के सरकारी स्कूलों की जो हकीकत सामने आई है उससे लोग दातों तले अंगुली दबाने को विवश हो गए हैं। दरअसल, कुमाऊं मंडल में कम छात्रसंख्या के चलते 1453 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को बंद कराने की नौबत आ गई है। ये हालात तब हैं जब सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के नाम पर सरकार सालाना करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। उसके बाद भी ये स्कूलों का स्तर वहीं का वहीं खड़ा है। अभिभावक अपने पाल्यों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने पर विवश हो रहे हैं। कुमाऊं मंडल के अपर शिक्षा निदेशक एबी बलौदी के मुताबिक इन स्कूलों में छात्र संख्या शिक्षा के लिए अभी भी हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उनके मुताबिक रिक्त पदों पर नियुक्तियों से इसमें सुधार की उम्मीद है। अभिभावकों को भी सरकारी शिक्षा को लेकर धारणा बदलने की जरूरत है।
चार हजार और स्कूल बढ़ा रहे चिंता
सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुमाऊं मंडल में 50 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक स्कूलों की संख्या 3445 और उच्च प्राथमिक की संख्या 646 पहुंच गई है। प्राथमिक में अल्मोड़ा में सर्वाधिक 1206, बागेश्वर में 542, चंपावत में 305, नैनीताल में 760, पिथौरागढ़ में 605 जबकि यूएस नगर में केवल सात स्कूल हैं। उच्च प्राथमिक में नैनीताल में सर्वाधिक 181, अल्मोड़ा में 164, पिथौरागढ़ में 124, बागेश्वर में 99, चंपावत में 71 और यूएस नगर में सात हैं।
ये भी पढ़ें- अल्मोड़ा के डीएम को सम्मानित करेंगे पिथौरागढ़ के लोग, जानें वजह
शिक्षा के लिए हो रहा पलायन
राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का गिरता स्तर कम छात्रसंख्या का पहला कारण माना जा रहा है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के तमाम पद रिक्त चल रहे हैं। अन्य मूलभूत सुविधाओं का भी टोटा चल रहा है। अभिभावक अच्छी शिक्षा के लिए अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने को विवश हो रहे हैं। शिक्षा के कारण गांवों में पलायन भी हो रहा है। लोग बच्चों को पढ़ाने के लिए शहरों का रुख कर रहे हैं। पलायन के चलते खेत बंजर हो रहे हैं और घरों में ताले लटक रहे हैं।