जागेश्वर मंदिर समिति में प्रबंधक पोस्ट पर 13 आवेदन, राजनेता भी कतार में

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Almora News:जागेश्वर धाम में उच्च न्यायालय के आदेश पर 2013 में मंदिर प्रबंधन समिति का गठन हुआ था। मंदिर प्रबंधन समिति बोर्ड में पांच सदस्य होते हैं। इनमें से उपाध्यक्ष (अवैतनिक) और प्रबंधक वैतनिक का चयन राज्यपाल करते हैं। वहीं, पुजारी प्रतिनिधि का चयन पंजीकृत पुजारी लोकतांत्रित तरीके से मतदान के जरिए करते हैं। इस  समिति के पदेन अध्यक्ष (चेयरमैन) जिलाधिकारी अल्मोड़ा होते हैं। साथ ही क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी भी इस समिति में पांचवें सदस्य के रूप में रहते हैं। प्रबंधक का कार्यकाल तीन साल का होता है। जागेश्वर मंदिर में इसी साल अक्तूबर से प्रबंधक की पोस्ट रिक्त चल रही है। मौजूदा समय  में भनोली की तहसीलदार कार्यवाहक प्रबंधक के तौर पर कामकाज देख रही हैं। इसी को देखते हुए प्रशासन ने इसी माह प्रबंधक की नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की थी। आवेदन की अंतिम तिथि 20 दिसंबर तय की गई थी। अधिकारियों के मुताबिक प्रबंधक पोस्ट के लिए 13 लोगों ने आवेदन किया है। अब जल्द ही आवेदनों की जांच शुरू हो जाएगी। उसके बाद रिपोर्ट जिला स्तर पर गठित तीन सदस्यीय  समिति के पास जाएगी। आखिरी में 10 योग्य आवेदकों के नाम राज्यपाल को भेजे जाएंगे। उनमें से एक का चयन प्रबंधक की पोस्ट के लिए राज्यपाल करेंगे।

नेताओं की एंट्री से प्रशासन भी परेशान!

हाईकोर्ट के आदेशानुसार जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में प्रबंधक पूरी तरह गैर राजनैतिक व्यक्ति होना चाहिए। प्रबंधक पद का आवेदक न तो किसी राजनैतिक दल का सदस्य होना चाहिए और न वह किसी राजनैतिक दल से संबद्ध होना चाहिए। बाकायदा इसबात का शपथ पत्र भी आवेदन फार्म में संलग्न करने का प्रावधान रखा गया है। बावजूद इसके हर बार इस पद पर राजनेता आवेदन करते आए हैं। बताया जाता है कि ये राजनेता अपने आवेदन को आगे बढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर अफसरों पर खूब दबाव भी डालते रहते हैं। बताया ये भी जाता है कि प्रबंधक पद पर आवेदन करने वाले नेता खुफिया विभाग की जांच प्रभावित करने की कोशिश भी करते रहते हैं। हालांकि एलआईयू जांच में हर बार राजनेता पकड़ में आ ही जाते हैं।

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पिछली बार भी नेताओं के आवेदन हुए थे निरस्त

जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति में प्रबंधक पद के लिए इस साल जुलाई में भी विज्ञप्ति जारी हुई थी। तब करीब 14 लोगों ने आवेदन किया था। उनमें एक आवेदन सोमेश्वर निवासी व्यक्ति का भी था, जोकि पहले ही निरस्त हो गया था। बताया जा रहा है कि उस बार भी राजनीति से जुड़े होने के कारण दो नेताओं के आवेदन जांच के बाद निरस्त कर दिए गए थे। साथ ही नौ आवेदकों के फार्म में संलग्न दस्तावेज स्व सत्यापित नहीं थे। इसके चलते दो नेताओं सहित 11 आवेदन निरस्त हो गए थे। केवल दो ही आवेदन सही पाए गए थे। नियमानुसार राज्यपाल को 10 नाम भेजने का प्रावधान है। इसी के चलते प्रशासन ने जुलाई में जारी विज्ञप्ति को निरस्त कर दिसंबर में नए सिरे से विज्ञप्ति जारी की थी।


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